घुसपैठियों पर रेलवे सुरक्षा बल की कड़ी नजर, 916 लोग पकड़े गए, सुरक्षा एजेंसियों के बीच बढ़ी तंत्रगत सहयोग की जरूरत

रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने 2021 से अब तक 586 बांग्लादेशी नागरिकों और 318 रोहिंग्या सहित कुल 916 घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है, जो देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चिंता का कारण बन रहे हैं। इन घुसपैठियों का मुख्य साधन रेलवे नेटवर्क बन चुका है, जिससे वे देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध रूप से पहुंचने का प्रयास करते हैं। यह स्थिति भारतीय अधिकारियों के लिए रेलवे नेटवर्क की निगरानी और सुरक्षा को चुनौतीपूर्ण बना रही है।
आरपीएफ ने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के तहत जून और जुलाई 2021 में 88 बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से कुछ ने अवैध रूप से भारत में घुसने की बात भी स्वीकार की। इस बीच, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल और सामाजिक-धार्मिक कारणों से शरण, रोजगार और आश्रय की तलाश करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जो रेलवे के माध्यम से देश में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं।
इन घुसपैठियों से न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, बल्कि बंधुआ मजदूरी, घरेलू नौकरानी, वेश्यावृत्ति और मानव तस्करी जैसी समस्याओं को भी बढ़ावा मिल रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, आरपीएफ ने सीमा सुरक्षा बल (BSF), स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों के साथ मिलकर अपनी निगरानी को और तेज कर दिया है। यह आंतरिक सहयोग घुसपैठियों की पहचान और उन्हें जल्द पकड़े जाने में मददगार साबित हो रहा है।
हालांकि, आरपीएफ के पास गिरफ्तार किए गए लोगों पर केस चलाने का अधिकार नहीं है, उन्हें आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए पुलिस और अन्य अधिकृत एजेंसियों को सौंप दिया जाता है। इन सुरक्षा उपायों के बावजूद, घुसपैठियों का रेलवे का इस्तेमाल न केवल उनकी आवाजाही को आसान बनाता है, बल्कि इससे देश के अंदर अनधिकृत प्रवेश का पता लगाने और रोकने की कोशिशों को भी जटिल बना दे
ता है।
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