बच्चों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की बढ़ती समस्या: सेप्सिस से हो रही मौतों के बीच नई चेतावनी

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (एआर) अब दुनियाभर में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है, और इसका खामियाजा छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ रहा है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के कारण नवजात बच्चों में सेप्सिस जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज संभव नहीं हो पा रहा है, और इसके चलते बच्चों की मौतों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है।
दुनिया भर में हर साल 3-4 मिलियन बच्चों को सेप्सिस
द नेचर जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 3 से 4 मिलियन बच्चों को सेप्सिस का सामना करना पड़ता है, जिसमें से 2 लाख से अधिक बच्चे अपनी जान गंवा देते हैं। यह बीमारी बच्चों के रक्त में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के संक्रमण से होती है, और इसे आमतौर पर एंटीबायोटिक्स के जरिए नियंत्रित किया जाता है। लेकिन अब इन दवाओं का असर कमजोर पड़ चुका है, क्योंकि बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स के प्रति इम्यून हो चुके हैं। इस स्थिति को ‘एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस’ कहा जाता है, और यही बच्चों की मौतों की बढ़ती संख्या का कारण बन रहा है।
नवजात सेप्सिस के प्रमुख कारण
नवजात सेप्सिस मुख्य रूप से बैक्टीरिया, वायरस या कवक संक्रमण के कारण होता है, जिनमें सबसे आम बैक्टीरिया *ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस* (GBS), *E. coli*, और *क्लेबसिएला* होते हैं। ये बैक्टीरिया आमतौर पर मां से बच्चे को संक्रमित होते हैं, और कई मामलों में इस संक्रमण के इलाज के लिए दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं अब अप्रभावी हो गई हैं।
नवजात सेप्सिस के लक्षण
नवजात सेप्सिस के लक्षण बच्चों की उम्र और स्थिति के हिसाब से भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सामान्य रूप से इसमें शामिल होते हैं:
– बुखार या शरीर का कम तापमान
– भूख की कमी
– चिड़चिड़ापन या सुस्ती
– तेज़ सांस लेना या सांस लेने में दिक्कत
– पीलिया
– त्वचा पर लाल चकत्ते या लालिमा
– सूजन
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की गंभीरता
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस तब होती है जब बैक्टीरिया दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं, जिससे एंटीबायोटिक दवाएं प्रभावहीन हो जाती हैं। यह समस्या एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक और गलत उपयोग के कारण उत्पन्न होती है, और अब यह बच्चों के इलाज में एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
वैश्विक स्थिति और भविष्य में खतरा
भारत, बांग्लादेश, ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों में किए गए अध्ययनों के अनुसार, बच्चों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। अगर यह समस्या ऐसे ही बढ़ती रही, तो भविष्य में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग बच्चों के इलाज के लिए लगभग असंभव हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के गलत इस्तेमाल को कड़ाई से रोकना और दवाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, नवजात सेप्सिस और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के मामलों में सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को जल्द प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इस समस्या का समाधान किया जा सके।
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