July 1, 2025

चिनार के पेड़ों के संरक्षण के लिए जम्मू-कश्मीर में डिजिटल पहल: क्या यह मुहिम इन अद्भुत पेड़ों को बचा पाएगी?

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जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत चिनार पेड़ों की घाटियों को बचाने और इनकी अनमोल धरोहर को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार और वन विभाग ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की है। इस पहल के तहत चिनार के पेड़ों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाकर उन्हें बचाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। जम्मू-कश्मीर वन विभाग और जम्मू-कश्मीर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) ने मिलकर एक प्रक्षिप्त परियोजना शुरू की है जिसे “डिजिटल ट्री आधार” नाम दिया गया है। यह परियोजना आधुनिक तकनीकों और ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) के माध्यम से चिनार के पेड़ों का संरक्षण करने के उद्देश्य से बनाई गई है।

कैसे काम करती है यह डिजिटल पहल?

डिजिटल ट्री आधार परियोजना के तहत प्रत्येक चिनार के पेड़ को एक विशेष क्यूआर कोड के साथ चिह्नित किया गया है। यह क्यूआर कोड एक स्प्रिंग-सक्षम मेटल प्लेट से जुड़ा होता है। इस प्लेट को स्कैन करके कोई भी व्यक्ति चिनार के पेड़ के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकता है। प्रोजेक्ट के कॉर्डिनेटर डॉ. सैयद तारिक ने बताया कि अब तक पिछले चार वर्षों में 28,560 चिनार के पेड़ों को सफलतापूर्वक जियोटैग किया गया है, और इनका पूरा डेटा अब सुरक्षित रखा गया है।

पेश किए गए विवरण और विशेषताएँ

इस प्रोजेक्ट में हर चिनार पेड़ की 25 विभिन्न विशेषताओं को दर्ज किया गया है, जिन्हें चिनार ट्री रिकॉर्ड फॉर्म (सीटीआरएफ-25) में रखा गया है। इन विशेषताओं में पेड़ की लोकेशन, स्वास्थ्य, ऊंचाई, व्यास (डीबीएच), क्राउन की लंबाई, और अन्य महत्वपूर्ण डेटा शामिल हैं। यह प्रक्रिया मानक प्रोटोकॉल के तहत की जाती है ताकि हर पेड़ के बारे में सटीक और अद्यतन जानकारी उपलब्ध हो सके।

चिनार के पेड़ों की अद्भुत विविधता

इस पहल ने यह खुलासा किया है कि जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सबसे अधिक चिनार के पेड़ पाए जाते हैं। इसके बाद गंदेरबल, अनंतनाग और बारामुल्ला जिलों का स्थान आता है। एक विशेष चिनार का पेड़, जो गंदेरबल जिले में स्थित है, को एशिया का सबसे बड़ा चिनार माना जाता था। अब यह पेड़, जिसकी ग्रीथ एट ब्रेस्ट हाइट (जीबीएच) 22.25 मीटर और ऊंचाई 27 मीटर है, नए आंकड़ों के अनुसार और भी प्रभावशाली साबित हुआ है। यह पहल चिनार के पेड़ों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण शुरुआत मानी जा रही है।

गांदरबल का सबसे बड़ा चिनार: क्या यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चिनार है?

डॉ. तारिक के अनुसार, इस मुहिम के तहत गांदरबल जिले में एक और चमत्कारी चिनार पेड़ मिला है। इस पेड़ की मोटाई 74 फीट है, जो कि मोटाई के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चिनार है। यह चिनार पेड़ न केवल जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अनमोल है।

क्या यह पहल चिनार के पेड़ों को बचा पाएगी?

चिनार के पेड़ जम्मू-कश्मीर की पहचानी हुई खूबसूरती का हिस्सा हैं, और इनकी संरचना, इतिहास, और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए यह डिजिटल पहल एक अहम कदम साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के तकनीकी उपायों से चिनार के पेड़ों का संरक्षण और उनकी प्रजातियों को बचाने में मदद मिलेगी। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या इस पहल के जरिए चिनार के पेड़ों को पूरी तरह से संरक्षित किया जा सकेगा, खासकर जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों के कारण इन पेड़ों पर बढ़ते दबाव के बीच।

नवीनतम तकनीक का उपयोग, लेकिन चुनौतीपूर्ण राह

चिनार पेड़ों के संरक्षण के लिए इस डिजिटल पहल में नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि क्या यह मुहिम दीर्घकालिक रूप से सफल हो पाती है और क्या चिनार के पेड़ों की इस अनमोल धरोहर को बचाने के लिए अन्य उपायों की आवश्यकता पड़ेगी।

चिनार के पेड़ों की इस डिजिटल पहल को लेकर आशा जताई जा रही है कि इससे पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता की दिशा में एक नया मुकाम हासिल किया जा सकेगा, और यह जम्मू-कश्मीर के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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