July 1, 2025

दुनिया भर में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक और असुरक्षित जगह अब उनका अपना घर बनता जा रहा है, और ये डरावनी सच्चाई संयुक्त राष्ट्र की दो प्रमुख एजेंसियों द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र महिला और संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और क्राइम के 2023 के आंकड़े बताते हैं कि हर दिन औसतन 140 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों की हत्या उनके पार्टनर या परिवार के लोगों द्वारा की जाती है। यानी महिलाएं, जो अपने घरों में सुरक्षा और शांति की उम्मीद करती हैं, वहां सबसे ज्यादा हिंसा और खतरों का शिकार हो रही हैं।

इन आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में दुनिया भर में कुल 51,100 महिलाओं और लड़कियों की हत्या की घटनाएं सामने आईं, जिनमें अधिकांश मामलों में उनके पार्टनर या परिवार के सदस्य जिम्मेदार थे। यह संख्या 2022 की तुलना में अधिक है, जब करीब 48,800 महिलाओं की हत्या के मामले सामने आए थे। इससे साफ है कि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और जेंडर आधारित अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, और स्थिति हर गुजरते साल के साथ और भी विकराल होती जा रही है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं और लड़कियों को हर जगह जेंडर आधारित हिंसा का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सबसे खतरनाक और चिंताजनक स्थिति उनके अपने घरों में ही है। एजेंसी का कहना है कि इन अपराधों के बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि हिंसा करने वालों को कड़ी सजा नहीं मिलती, जिससे ये अपराध रुकने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं।

अफ्रीका में स्थिति और भी गंभीर है, जहां महिलाओं के खिलाफ हिंसा और हत्या के मामले सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं। 2023 में अफ्रीका में लगभग 21,700 महिलाओं और लड़कियों की हत्या की घटनाएं रिपोर्ट की गईं, जो उस क्षेत्र की कुल आबादी के हिसाब से बहुत अधिक हैं। अफ्रीका में हर एक लाख महिलाओं में से तीन महिलाओं की हत्या उनके पार्टनर या परिवार के सदस्य द्वारा की जाती है, जो एक बेहद चिंताजनक आंकड़ा है। इसके विपरीत, अमेरिका में यह संख्या हर एक लाख में 1.6 थी, जबकि ओशिनिया में यह 1.5 और एशिया में 0.8 थी।

संयुक्त राष्ट्र महिला की ओर से यह भी कहा गया है कि महिलाएं हिंसा का शिकार न हों, इसके लिए उन्हें आर्थिक और राजनीतिक ताकतवर लोगों से मदद मिलनी चाहिए, खासकर उन लोगों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है जो अपनी शक्ति का दुरुपयोग महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने में करते हैं।

यह रिपोर्ट इस कड़वी सच्चाई को सामने लाती है कि महिलाओं की सुरक्षा अब सिर्फ कानून और व्यवस्था से नहीं, बल्कि समाज में बदलाव और कड़े दंड से ही सुनिश्चित हो सकती है। दुनिया भर में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और हत्या के मामलों ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हम सच में एक सुरक्षित और समान समाज की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, या फिर हमें और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

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