July 1, 2025

बांग्लादेश में इस्कॉन के वरिष्ठ सदस्य और हिंदू समुदाय के प्रमुख नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोमवार को हुई इस गिरफ्तारी के बाद से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश और डर का माहौल बना हुआ है। चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों के मुखर प्रवक्ता रहे हैं, पर आरोप है कि उन्होंने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

उनके समर्थक इसे एक सुनियोजित साजिश बताते हुए दावा कर रहे हैं कि उनका जीवन खतरे में है। बांग्लादेश में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों पर हमलों के बीच यह गिरफ्तारी और हिंसक घटनाएं चिंताजनक हैं।

शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हिंसा का मंजर

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में ढाका में आयोजित एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसा में बदल गया। कट्टरपंथी समूहों और सत्तारूढ़ दल के समर्थकों ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हो गए। चश्मदीदों ने बताया कि पुलिस और सुरक्षा बल मूकदर्शक बने रहे, जबकि प्रदर्शनकारियों को लाठियों और पत्थरों से पीटा गया।

इसके अलावा, चटगांव, कॉक्स बाजार और मौलवी बाजार जैसे इलाकों में भी हिंसा की घटनाएं सामने आईं, जहां प्रदर्शनकारियों को गंभीर दमन का सामना करना पड़ा।

चिन्मय कृष्ण दास की जान को खतरा

चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों का कहना है कि जेल में उनके जीवन को गंभीर खतरा है, और यह गिरफ्तारी अल्पसंख्यकों की आवाज को दबाने और उन्हें डराने की कोशिश है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस पर चिंता जताई है, खासकर शारीरिक और मानसिक यातना की संभावना को लेकर।

हिंसा का असर शिक्षा और स्वास्थ्य पर

ढाका के शाहबाग इलाके में प्रदर्शन के दौरान, प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने के साथ-साथ महत्वपूर्ण संस्थानों को भी नुकसान पहुंचाया गया। सुहरावर्दी कॉलेज में हिंसक भीड़ ने कॉलेज की संपत्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके कारण परीक्षा को स्थगित करना पड़ा। इसके साथ ही, एक अस्पताल परिसर में बनी करुणा की मूर्ति को तोड़कर सांप्रदायिक नफरत का इज़हार किया गया।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर बढ़ी चिंता

यह घटना बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की घटती आबादी और बढ़ते दमन की स्थिति को और गंभीर बनाती है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि ये घटनाएं बांग्लादेश को एक असहिष्णु और अल्पसंख्यक-विरोधी समाज बनाने की ओर धकेल सकती हैं।

अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की अपील

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उनके बाद हुई हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की है। मानवाधिकार संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक निकायों से बांग्लादेश सरकार को अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के लिए दबाव बनाने की मांग की है।

यह स्थिति बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए बेहद गंभीर हो चुकी है, और यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो यह हिंसा और दमन के एक नए दौर की शुरुआत कर सकता है।

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