*चित्रकथी आर्ट स्कूल द्वारा दुर्गा पूजा के अवसर पर कला और शिल्प कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ, 6 अक्टूबर 2024 – चित्रकथी आर्ट स्कूल ने दुर्गा पूजा के पावन अवसर पर एक विशेष कला और शिल्प कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में बच्चों और वयस्कों ने मिलकर विभिन्न कला और शिल्प तकनीकों का अनुभव लिया, जो न केवल सृजनात्मकता को बढ़ावा देने का माध्यम था, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को समझने का भी एक अवसर था।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए चित्रकथी आर्ट स्कूल के निदेशक आशुतोष वर्धन ने कहा, “हमें गर्व है कि हम दुर्गा पूजा के इस महत्वपूर्ण अवसर पर इस कार्यशाला का आयोजन कर सके। यह सभी प्रतिभागियों के लिए अपनी रचनात्मकता और कौशल को प्रदर्शित करने का एक अद्भुत अवसर है।”
कार्यशाला का आयोजन लखनऊ के साउथ सिटी स्थित चित्रकथी आर्ट स्कूल में किया गया, जिसमें कई बच्चों और वयस्कों ने भाग लिया। प्रतिभागियों में प्रथा, श्रुति, तन्मय, इरिक, सावी, त्रयक्ष, सिद्धि, अंशिका, श्रद्धा, दिव्या जैसे कई युवा कलाकार शामिल रहे।
इस कार्यशाला में, कलाकारों ने मां दुर्गा की सुंदर प्रतिमा का निर्माण किया और उसे सजाया। यह न केवल एक शिल्प कौशल का अभ्यास था, बल्कि दुर्गा पूजा की संस्कृति और महत्व को भी दर्शाता था। इस दौरान, प्रतिभागियों ने रंग, पैटर्न और विभिन्न सामग्री का उपयोग करते हुए अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
कार्यशाला का संचालन दीपक सोनी, शिवम यादव और शुभम के नेतृत्व में किया गया। उन्होंने प्रतिभागियों को तकनीकों के बारे में मार्गदर्शन दिया और उनकी रचनाओं को आकार देने में मदद की। कलाकारों ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएँ न केवल उनके लिए बल्कि समाज के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती हैं और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में सहायक होती हैं।
इस कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों ने अपनी रचनाओं को लेकर काफी उत्साह और सृजनात्मकता दिखाई। कई प्रतिभागियों ने अपनी कला को प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्हें इस कार्यशाला में भाग लेकर न केवल कला में सुधार करने का मौका मिला, बल्कि उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर काम करने का आनंद भी लिया।
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किए गए, जिससे उन्हें अपनी मेहनत का सम्मान मिला। चित्रकथी आर्ट स्कूल ने भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाओं के आयोजन की योजना बनाई है, ताकि और भी लोग कला के क्षेत्र में अपने कौशल को विकसित कर सकें और भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ा सकें।
इस सफल आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि कला और संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है, और ऐसे कार्यक्रम इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
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