July 1, 2025

भारत में डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा संबंध, नई स्टडी में चौंकाने वाले खुलासे

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भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 10 करोड़ से भी अधिक हो गई है, और यह बीमारी न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रही है। हाल ही में प्रकाशित एक स्टडी में यह तथ्य सामने आया है कि डायबिटीज, खासकर टाइप-1 और टाइप-2, के मरीजों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी मानसिक समस्याओं का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में दो से तीन गुना अधिक होता है। मेडिकल जर्नल *द लैंसेट* में प्रकाशित इस स्टडी ने बताया है कि डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में मानसिक समस्याओं का खतरा 20% तक बढ़ सकता है।

डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य: एक जटिल संबंध
द लैंसेट की स्टडी में यह भी खुलासा किया गया है कि डायबिटीज के मरीजों में हार्मोनल असंतुलन के कारण मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जब शुगर लेवल असामान्य रूप से बढ़ता है, तो यह शरीर के विभिन्न अंगों के साथ-साथ मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस बढ़े हुए शुगर लेवल का असर ब्रेन और न्यूरोट्रांसमीटर्स पर पड़ता है, जिससे मानसिक सेहत में गिरावट आती है। विशेष रूप से, डायबिटीज के मरीजों में एंग्जाइटी और डिप्रेशन का खतरा इस प्रकार से बढ़ता है कि उनका मानसिक स्वास्थ्य और जीवनशैली पर गंभीर असर पड़ सकता है।

स्टडी के अनुसार, यह डर और मानसिक तनाव सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य से ही नहीं बल्कि मानसिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव डालता है। जब किसी को डायबिटीज के साथ साथ अन्य बीमारियों का खतरा महसूस होने लगता है, तो उनके मन में निरंतर डर और चिंता बनी रहती है। इस चिंता का परिणाम अंततः एंग्जाइटी और फिर डिप्रेशन के रूप में सामने आता है।

डायबिटीज डिस्ट्रेस: मानसिक स्वास्थ्य पर असर
दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर अजित कुमार बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति का शुगर लेवल लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तो यह ब्रेन में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर्स के संतुलन को बिगाड़ सकता है। इस असंतुलन के कारण मानसिक तनाव और चिंता पैदा होती है, जिसे ‘डायबिटीज डिस्ट्रेस’ कहा जाता है। इसके अलावा, शरीर में बढ़े हुए ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का लेवल भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

डॉ. कुमार के अनुसार, दुनिया भर में डायबिटीज से पीड़ित 30% आबादी में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम होता है। भारत में डायबिटीज का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, और इसके मानसिक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में डायबिटीज के मामलों की संख्या दुनिया भर में सबसे अधिक रही, जो वैश्विक मामलों का लगभग एक चौथाई थी।

भारत में डायबिटीज के बढ़ते मामले और मानसिक स्वास्थ्य के खतरे
भारत में डायबिटीज की बीमारी तेजी से फैल रही है, और इसके मानसिक प्रभावों से अब अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि लोग शारीरिक बीमारियों का तो इलाज कर सकते हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए केवल शुगर के स्तर को नियंत्रित करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके साथ ही व्यक्ति को मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहने के उपायों को अपनाना चाहिए।

डायबिटीज से बचाव के उपाय
डायबिटीज से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं, जो शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकते हैं।

1. रोजाना एक्सरसाइज करें – नियमित शारीरिक व्यायाम से शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
2. संतुलित खानपान – सही आहार लेना और मिठाई से परहेज करना शुगर कंट्रोल में रखने के लिए आवश्यक है।
3. मानसिक तनाव से बचें – तनाव और चिंता से बचने के लिए ध्यान, योग और आराम से मानसिक स्थिति को स्थिर रखा जा सकता है।
4. मोटापे को नियंत्रित करें – मोटापा डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है, इसलिए स्वस्थ वजन बनाए रखना आवश्यक है।

क्या भारत में बढ़ती डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटा जा सकता है?
यह सवाल अब एक अहम मुद्दा बन गया है, क्योंकि अब केवल शारीरिक उपचार ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के उपाय भी जरूरी हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द ही इस ओर गंभीर कदम नहीं उठाए गए तो भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ती जाएंगी।

भारत में डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य का यह संबंध अब किसी से छिपा नहीं है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों के अनुसार, यदि शुगर के स्तर को नियंत्रित करते हुए मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाए, तो हम इस घातक बीमारी से न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी बच सकते हैं।

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