April 27, 2025

फर्रुखाबाद में हुआ भव्य सामूहिक विवाह समारोह, 75 जोड़ों ने किया विवाह, लेकिन एक सवाल है – क्या ये आयोजन समाज में असल बदलाव ला पाएगा?

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फर्रुखाबाद जिले के बढ़पुर स्थित एक गेस्ट हाउस में आज एक ऐतिहासिक सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया, जहां 75 जोड़ों ने एक साथ विवाह के पवित्र बंधन में बंधकर अपने नए जीवन की शुरुआत की। इस सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन समाजसेवी और भाजपा नेता, पूर्व एमएलसी मनोज अग्रवाल द्वारा सेवा व्रत कार्यक्रम के तहत किया गया।

समारोह में कुल 76 जोड़ों का पंजीकरण किया गया था, जिनमें से 75 जोड़ों ने एक साथ वरमाला डालकर एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का संकल्प लिया। अमृतपुर से भाजपा विधायक सुशील शाक्य और जिलाधिकारी डॉक्टर वीके सिंह ने समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की और वर-वधू को पुष्प वर्षा कर आशीर्वाद दिया। इस आयोजन में अधिकारियों और समाजसेवियों की उपस्थिति ने इसे और भी खास बना दिया।

लेकिन इस सामूहिक विवाह समारोह के आयोजन के पीछे एक बड़ा सवाल छिपा है – क्या इस तरह के सामूहिक विवाह कार्यक्रम समाज में असल बदलाव ला पाएंगे? क्या यह आयोजन समाज में विवाह के लिए व्यर्थ के खर्चों और दिखावे को समाप्त कर पाएगा, या यह महज एक आयोजन बनकर रह जाएगा?

समारोह में वर-वधू के परिवारों का उत्साह और खुशी स्पष्ट रूप से दिख रही थी, लेकिन इस समारोह के आयोजकों और समाज के लिए यह सोचने की बात है कि क्या इस तरह के आयोजन वास्तव में उन गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए स्थायी बदलाव ला सकते हैं, जो इस तरह के सामाजिक मदद से लाभान्वित होते हैं। क्या सामूहिक विवाह समारोह समाज में विवाह के पारंपरिक रूप को बदलने में सफल होंगे, या फिर यह केवल एक आकर्षक पहलू बनकर रह जाएंगे?

पूर्व एमएलसी मनोज अग्रवाल का कहना है कि इस तरह के आयोजनों का उद्देश्य सामाजिक असमानताओं को कम करना और गरीब परिवारों की मदद करना है, जो अक्सर विवाह के खर्चों की वजह से समाज के मुख्यधारा से बाहर हो जाते हैं। साथ ही, वे यह भी मानते हैं कि इस तरह के समारोह समाज में विवाह के प्रति एक नया दृष्टिकोण और जागरूकता पैदा करने में मदद कर सकते हैं।

हालांकि, इस प्रकार के आयोजन के आयोजन से जुड़ी सामाजिक समस्याओं और सवालों का समाधान आसान नहीं है। यह केवल समय के साथ ही स्पष्ट होगा कि क्या सामूहिक विवाह कार्यक्रम वास्तविक सामाजिक बदलाव ला पाएंगे या यह सिर्फ एक छोटे से कार्यक्रम के रूप में सिमट कर रह जाएंगे।

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