July 1, 2025

क्या है G20 की असली ताकत? जानिए कैसे यह 20 देशों का समूह बदल रहा है वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के समीकरण

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दुनिया में 195 देशों के बीच भले ही सीमाएं हों, लेकिन आपसी जुड़ाव, सहयोग और एकजुटता की शक्ति अक्सर उन सीमाओं से कहीं बड़ी होती है। देशों के हितों की रक्षा करने और वैश्विक मुद्दों पर एकजुट होकर रणनीति बनाने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संगठन और समूह बने हैं। इनमें से एक प्रमुख और शक्तिशाली समूह है G20। यह वह मंच है जहां दुनिया की सबसे बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाएं मिलकर वैश्विक समस्याओं पर चर्चा करती हैं और समाधान की दिशा तय करती हैं।

G20 का गठन क्यों हुआ?
G20 का गठन 1999 में एशिया में आए वित्तीय संकट के बाद हुआ था। उस समय देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नरों ने महसूस किया कि एक ऐसा मंच होना चाहिए, जहां वैश्विक आर्थिक और वित्तीय समस्याओं पर खुलकर चर्चा हो सके। इस समूह में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं, जिनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।

G20 की ताकत
इस समूह का महत्व इस तथ्य से ही स्पष्ट हो जाता है कि G20 सदस्य देशों का मिलाजुला वैश्विक जीडीपी में 85% का योगदान है, 75% वैश्विक व्यापार और लगभग दो-तिहाई मानवता का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए, G20 की बैठकों में लिए गए निर्णयों का प्रभाव दुनिया भर पर पड़ता है।

2023 में भारत ने G20 की मेज़बानी की थी, जबकि 2024 में इसका अध्यक्षता ब्राजील के पास होगी।

G20 की बैठकें और उनका उद्देश्य
G20 की पहली बैठक 2008 में अमेरिका के वॉशिंगटन में हुई थी, जब दुनिया वैश्विक आर्थिक संकट का सामना कर रही थी। इसके बाद से यह सम्मेलन हर साल आयोजित होने लगा, और 2011 के बाद से यह साल में एक बार आयोजित होता है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करना था, लेकिन समय के साथ इसके दायरे में कई अन्य मुद्दे भी आ गए हैं, जिनमें **स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, कृषि, ऊर्जा और प्रवासन** जैसी समस्याएं शामिल हैं।

G20 के आयोजन की प्रक्रिया
हर साल जिस देश को G20 की अध्यक्षता मिलती है, वह उस वर्ष की बैठक की मेज़बानी करता है और एजेंडा तैयार करता है। इस सम्मेलन में दो प्रमुख ट्रैक होते हैं:
1. फाइनेंस ट्रैक: जहां वित्तीय और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होती है, जिसमें सदस्य देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक गवर्नर शामिल होते हैं।
2. शेरपा ट्रैक: यह एक राजनयिक स्तर पर होने वाली चर्चा है, जहां सदस्य देशों के प्रतिनिधि कृषि, संस्कृति, शिक्षा, पर्यटन, डिजिटल अर्थव्यवस्था, जलवायु और ऊर्जा जैसे मुद्दों पर विचार करते हैं।

G20 की अध्यक्षता का चयन कैसे होता है?
G20 की अध्यक्षता का निर्णय एक तिकड़ी प्रणाली के तहत लिया जाता है, जिसे “ट्रोइका” कहा जाता है। इसमें वर्तमान अध्यक्ष देश, पिछले अध्यक्ष और आगामी अध्यक्ष शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में भारत ने अध्यक्षता की, 2024 में ब्राजील और 2025 में दक्षिण अफ्रीका इसकी मेज़बानी करेगा। इस प्रकार, अगले कुछ वर्षों में G20 की अध्यक्षता का यह चक्र पूरा होगा और फिर से 2026 में अमेरिका को यह जिम्मेदारी दी जाएगी।

कौन से प्रमुख मुद्दों पर होती है चर्चा?
G20 के समिट में पहले केवल आर्थिक मुद्दों पर ही चर्चा होती थी, लेकिन अब इसका दायरा बहुत बढ़ चुका है। उदाहरण के लिए, 2015 में तुर्की में हुई बैठक में पहली बार प्रवासन और शरणार्थी संकट पर विस्तृत चर्चा की गई थी। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, वित्तीय क्षेत्र में सुधार, और वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता सुनिश्चित करने के उपायों पर भी बातचीत हुई।

इसके अलावा, 2022 के बाली सम्मेलन में पश्चिमी देशों और रूस के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर तीखी नोंक-झोंक हुई थी, जिसके कारण सभी राष्ट्र प्रमुखों का सामूहिक फोटो नहीं लिया जा सका। इसके बाद बाली घोषणापत्र पर सहमति नहीं बन पाई और अंततः पश्चिमी देशों ने अपने हिसाब से घोषणापत्र जारी किया।

G20 समिट का क्या फायदा?
G20 के समिट के दौरान लिए गए फैसलों पर किसी भी देश के लिए कानूनी बाध्यता नहीं होती, लेकिन इनमें से कुछ निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था और नीति के लिए अहम दिशा-निर्देश का काम करते हैं। बैठक के अंत में साझा बयान पर आम सहमति बनाई जाती है, जिसे अध्यक्ष देश तैयार करता है।

क्या G20 वाकई वैश्विक मुद्दों पर प्रभाव डालता है?
जैसा कि G20 की बैठकों में लिए गए निर्णयों का असर वैश्विक आर्थिक, जलवायु, और सामाजिक नीतियों पर देखा गया है, यह कहना गलत नहीं होगा कि इस मंच पर होने वाली चर्चाएं और निर्णय वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, इस समूह के भीतर देशों के बीच हितों का टकराव भी होता है, जैसा कि यूक्रेन युद्ध को लेकर बाली सम्मेलन में हुआ था, लेकिन बावजूद इसके G20 अब वैश्विक संकटों के समाधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आज G20 एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच के रूप में स्थापित हो चुका है, जहां न केवल वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर बातचीत होती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, और मानवाधिकार जैसे अन्य बड़े मुद्दों पर भी प्रभावी निर्णय लिए जाते हैं।

G20 की आगामी बैठकें आने वाले वर्षों में क्या वैश्विक बदलाव लाएंगी, यह समय ही बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस मंच की भूमिका वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में अब अनदेखी नहीं की जा सकती।

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