गणेश चतुर्थी: इस बार बप्पा को लाएंगे आपकी अद्भुत कलाकारी के साथ!

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी के पावन पर्व का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करने से जीवन में आने वाले सभी कष्टों का निवारण होता है तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं की मानें तो इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी ने जन्म लिया था। भगवान गणेश आदिदेव महादेव और मां पार्वती जी के पुत्र हैं। भगवान गणेश को ज्ञान, लेखन, वाणिज्य और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। गणेश चतुर्थी को विवायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी तिथि
गणेश चतुर्थी की तिथि 6 सितंबर यानी कल दोपहर 3 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो चुका है और इस तिथि का समापन 7 सितंबर यानी आज शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा. गणेश स्थापना का समय- 7 सितंबर यानी आज सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक है।
गणपति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
आज गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रहा है। शास्त्रों में भगवान गणेश की पूजा और स्थापना के लिए दोपहर का समय सबसे शुभ माना गया है। ऐसे में आज अभिजीत मुहूर्त में गणपति की स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त होगा। आज अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा आज गणपति जी की मूर्ति स्थापना तीन शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं।
गणेश जी के मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
गजराजमुखाय ते नमो मृगराजोत्तमवाहनाय ते ।
द्विजराजकलाभृते नमो गणराजाय सदा नमोऽस्तु ते ॥
गजाननाय पूर्णाय साङ्ख्यरूपमयाय ते ।
विदेहेन च सर्वत्र संस्थिताय नमो नमः ॥
अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥
प्रचलित कुछ कथाएं
पौराणिक एवं प्रचलित श्री गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे। तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिव जी ने कार्तिकेय व गणेश जी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेश जी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया।
इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा।
भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेश जी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी उन्हें एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिव जी ने श्री गणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा।
तब गणेश ने कहा – ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।’ यह सुनकर भगवान शिव ने गणेश जी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इस प्रकार भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होंगे। इस व्रत को करने से व्रतधारी के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। चारों तरफ से मनुष्य की सुख-समृद्धि बढ़ेगी। पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहेगी।
गणेश चतुर्थी पर भोग की विविधता: बप्पा को अर्पित करें खास प्रसाद
गणेश चतुर्थी पर मोदक का भोग: बप्पा के पसंदीदा और स्वादिष्ट अर्पण
गणपति बप्पा को मोदक बेहद पसंद हैं, इसीलिए गणेश चतुर्थी के अवसर पर उन्हें मोदक चढ़ाना सबसे उपयुक्त माना जाता है। पारंपरिक रूप से मोदक नारियल और गुड़ से तैयार किए जाते हैं, लेकिन आजकल कई विभिन्न प्रकार के मोदक उपलब्ध हैं। इन मिठाइयों को गणपति बप्पा के चरणों में चढ़ाया जाता है और यह स्वादिष्ट भी होती हैं। धार्मिक मान्यता है कि मोदक का भोग अर्पित करने से गणपति जी बहुत प्रसन्न होते हैं।
गणेश चतुर्थी पर बप्पा के फेवरिट तिल के लड्डू: खास भोग और स्वादिष्ट प्रसाद
गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा को तिल के लड्डू भी अर्पित किए जाते हैं। ये लड्डू बप्पा को बहुत पसंद हैं। इस विशेष अवसर पर तिल और गुड़ को मिलाकर एक खास विधि से लड्डू बनाए जाते हैं, जो स्वाद में बहुत ही लाजवाब होते हैं। गणेश जी के चरणों में अर्पित करने के बाद, इन्हें प्रसाद के रूप में भी वितरित किया जाता है।
गणेश चतुर्थी पर खीर का भोग: बप्पा की प्रिय मिठाई और समृद्धि की मान्यता
गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश को खीर का भी भोग अर्पित किया जाता है। चावल, दूध, चीनी और सूखे मेवे से बनी यह मीठी खीर गणेश जी को बेहद पसंद है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, खीर का भोग अर्पित करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
गणेश चतुर्थी पर बप्पा को ताजे फलों और उनके रस का भोग अर्पित करें
गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश को ताजे फलों का रस भी अर्पित किया जाता है। आम, अंगूर, अनार, सेब जैसे ताजे फलों का रस अर्पित करने से गणेश जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। यह रस गणेश जी के पारंपरिक भोगों में शामिल है। यदि रस निकालना संभव न हो, तो साबुत फल जैसे केला, सेब, अंगूर, अनार भी अर्पित किए जा सकते हैं। फल और फलों के रस का भोग ताजगी और स्वास्थ्य का प्रतीक है।
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