घरेलू कामगारों का राष्ट्रीय मंच: लखनऊ में संगोष्ठी में उठीं सुरक्षा और वेतन की मांगें
लखनऊ के प्रेस क्लब में अंतर्राष्ट्रीय सभ्य कामगार दिवस के अवसर पर घरेलू कामगारों की एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता फरीदा जलीस और माया पांडेय ने की। इस कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने राज्य सरकार से घरेलू कामगारों के कल्याण के लिए विशेष ध्यान देने की मांग की।
फरीदा जलीस और माया पांडेय ने सरकार से आग्रह किया कि वह घरेलू कामगारों के लिए एक कल्याण बोर्ड का गठन करें, जिससे महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित हो सके।
विशिष्ट अतिथि वंदना मिश्रा, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, ने कहा कि घरेलू कामगारों की महिलाओं को न्यूनतम वेतन नहीं मिल पा रहा है, जिससे महंगाई के इस दौर में उनके लिए जीवन यापन करना कठिन हो रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों में सरकार ने न्यूनतम मजदूरी सलाहकार बोर्ड का गठन नहीं किया है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन भी नहीं किया जा रहा है।”
मिश्रा ने उत्तर प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी को 26,000 रुपये निर्धारित करने की मांग करते हुए कहा कि घरेलू कामगारों को वृद्धा पेंशन, आवास, शिक्षा, चिकित्सा और अन्य कल्याणकारी लाभों का अधिकार है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इन सभी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करे।
इस संगोष्ठी ने घरेलू कामगारों के अधिकारों और सुरक्षा के मुद्दों को उठाते हुए एक नया मोड़ लिया है, जिससे उम्मीद है कि सरकार इस ओर ध्यान देगी।
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