भारत में HMPV के मामले बढ़ने से बढ़ी चिंता, चीन में मामलों में कमी, लेकिन क्या यह भारत के लिए राहत का संकेत है?

भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ रही है। हाल ही में गुजरात, असम और पुडुचेरी से HMPV के नए मामलों की पुष्टि हुई है, और अब तक भारत में कुल 17 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। हालांकि चीन से एक सकारात्मक खबर आई है, जहां HMPV के मामलों में कमी आई है, लेकिन भारत के लिए अभी भी राहत की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है।
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के शोधकर्ता वांग लिपिंग ने हाल ही में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि HMPV कोई नया वायरस नहीं है और यह कम से कम दो दशकों से मानवों के बीच मौजूद है। उन्होंने बताया कि यह वायरस 2001 में पहली बार नीदरलैंड में पाया गया था और तब से इसके मामलों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। खासकर उत्तरी प्रांतों में पॉजिटिव मामलों की दर घट रही है। वांग लिपिंग ने यह भी कहा कि हालांकि मामलों में गिरावट हो रही है, फिर भी भारत में इसके मामलों को लेकर सतर्कता की जरूरत है।
भारत में HMPV के बढ़ते मामलों पर अब तक प्रशासन ने कोई आपातकालीन चेतावनी जारी नहीं की है, लेकिन जनता से सावधानी बरतने की अपील की जा रही है। सोमवार को पुडुचेरी से HMPV का एक नया मामला सामने आया, जहां एक बच्ची में बुखार, खांसी और नाक बहने की शिकायत पाई गई थी, और जांच में पुष्टि हुई कि उसे HMPV है। इसके बाद भारत में HMPV के कुल 17 मामले हो गए हैं। इनमें गुजरात में सबसे ज्यादा 5 मामले हैं, उसके बाद महाराष्ट्र और कोलकाता में 3-3, कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी में 2-2, और असम में एक मामला रिपोर्ट किया गया है।
HMPV के लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बहना, गला खराब होना और सांस लेने में परेशानी शामिल हैं। यह वायरस विशेष रूप से छोटे बच्चों को प्रभावित करता है। इससे बचाव के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से कुछ सामान्य उपायों की सलाह दी है। इन उपायों में हाथ धोने, संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में न आने, और खांसी या बुखार जैसे लक्षण महसूस होने पर तुरंत जांच कराने की सलाह दी जा रही है। इसके साथ ही, बच्चों का खास ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि वे इस वायरस से सुरक्षित रह सकें।
भारत में HMPV के बढ़ते मामलों के बीच, जब चीन में मामलों में कमी देखी जा रही है, तो क्या भारत को भी जल्द ही राहत मिलेगी या यह वायरस और भी खतरनाक साबित हो सकता है? यह सवाल अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
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