July 1, 2025

ICC के चीफ प्रॉसीक्यूटर ने म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग के खिलाफ अरेस्ट वारंट की मांग, रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार की जांच में नए खुलासे

0

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) के चीफ प्रॉसीक्यूटर करीम खान ने म्यांमार के सैन्य तानाशाह मिन आंग ह्लाइंग के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करने के लिए आवेदन दिया है। मिन आंग पर 2017 में म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ किए गए ‘मानवता के खिलाफ अपराधों’ का आरोप है। करीम खान का दावा है कि उनके पास ऐसे ठोस सबूत हैं, जो यह साबित करते हैं कि मिन आंग की कमान में म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार किया और उन्हें बांग्लादेश में जबरन खदेड़ा।

म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार की यह घटना 2017 में तब सामने आई जब लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार में जारी हिंसा से बचने के लिए बांग्लादेश शरण ली। संयुक्त राष्ट्र ने इसे नरसंहार करार दिया था, जबकि म्यांमार सरकार ने इसे एक ‘सैन्य अभियान’ बताया था। म्यांमार की सेना ने इस दौरान रोहिंग्या मुसलमानों के गांवों को जलाकर पूरी तरह से नष्ट कर दिया था और महिलाओं और बच्चों समेत हजारों नागरिकों की हत्या की थी।

साल 2017 में म्यांमार के रोहिंग्या मिलिटेंट्स द्वारा म्यांमार की पुलिस पोस्ट पर हमला किए जाने के बाद म्यांमार की सेना ने इस समुदाय के खिलाफ हिंसक अभियान शुरू किया था। इन हमलों में 6700 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान मारे गए थे, जिनमें सैकड़ों बच्चे भी शामिल थे। इसके अलावा, म्यांमार की सेना ने महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और शारीरिक हिंसा भी की थी। इस भयंकर उत्पीड़न के बाद लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश शरण ली और वहां की शरणार्थी कैंपों में अपना जीवन यापन करने को मजबूर हुए।

करीब पांच साल बाद ICC के चीफ प्रॉसीक्यूटर करीम खान ने इस मामले में पर्याप्त सबूत जुटाए हैं और म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, म्यांमार ICC का सदस्य नहीं है, लेकिन इस घटना के कारण रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश भेजे जाने के कारण बांग्लादेश ICC का सदस्य है और इस कारण से ICC इस मामले में जांच और कार्यवाही कर सकता है।

मिन आंग ह्लाइंग ने 2021 में म्यांमार में तख्तापलट किया था और आंग सान सू की की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था। इसके बाद म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ अत्याचारों का सिलसिला जारी रहा। मिन आंग ह्लाइंग के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिबंध भी लगाए गए हैं, जिनमें यात्रा और आर्थिक लेन-देन पर पाबंदियां शामिल हैं।

अब ICC की तीन सदस्यीय जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी और यह देखेगी कि मिन आंग ह्लाइंग के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया जाए या नहीं। इस मामले में कोर्ट के फैसले का पूरे विश्व पर गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि यह मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए सजा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

क्या ICC मिन आंग ह्लाइंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा? क्या म्यांमार में होने वाले मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की कार्रवाई को और मजबूती मिलेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में मिल सकते हैं, लेकिन फिलहाल ICC के इस कदम से म्यांमार के सैन्य शासन के खिलाफ एक बड़ी कानूनी लड़ाई शुरू हो चुकी है।

Share this content:

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

error: Content is protected !!