किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान, डल्लेवाल की स्वास्थ्य रिपोर्ट पर अहम चर्चा

13 फरवरी 2024 से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले में पंजाब सरकार द्वारा पिछले 15 दिनों की मेडिकल रिपोर्ट देने की अपील पर सुनवाई की। इस दौरान, पंजाब सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी ने किसानों के साथ बैठक की और केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल से डल्लेवाल को बातचीत करने के लिए तैयार कर लिया है।
14 फरवरी को होगी केंद्र से बैठक, किसानों का सकारात्मक रुख
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि 14 फरवरी को डल्लेवाल और अन्य किसान नेता केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल से बैठक करेंगे। इसके परिणामस्वरूप डल्लेवाल और अन्य नेताओं ने चिकित्सा सहायता लेनी शुरू कर दी और विरोध स्थल से 50 मीटर दूर स्थित अस्पताल में शिफ्ट हो गए। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह एक सकारात्मक पहल है और कुछ किसान नेताओं ने अपना अनशन तोड़कर वार्ता फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: एम्स से रिपोर्ट जांचने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगले कदम के रूप में सभी रिपोर्ट्स को एम्स को भेजने का आदेश दिया ताकि राज्य सरकार के दावों की पुष्टि की जा सके। कोर्ट ने एम्स के निदेशक से इस संबंध में विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श करने का भी निर्देश दिया।
डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर रिपोर्ट: पंजाब सरकार पेश करेगी ताजा स्थिति
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो एमएसपी सहित अन्य मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे, उनकी स्वास्थ्य रिपोर्ट पंजाब सरकार द्वारा पेश की जाएगी। 58 दिन के अनशन के बाद डल्लेवाल को ट्रॉली से बाहर निकाला जाएगा और मंच के पास शिफ्ट किया जाएगा ताकि उन्हें धूप मिल सके। डल्लेवाल ने कहा कि उन्हें इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ी, और 121 किसान नेताओं के आमरण अनशन पर बैठने के बाद उन्हें चिकित्सा सहायता लेने के लिए दबाव महसूस हुआ।
किसानों की जंग: ट्रैक्टर मार्च और अन्य प्रदर्शन
किसान नेताओं ने 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया है। इस मार्च के बाद दिल्ली कूच को लेकर भी निर्णय लिया जाएगा। साथ ही, 14 फरवरी को किसान चंडीगढ़ में केंद्र सरकार से मुलाकात करेंगे। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में आज किसानों ने एक दिन का सांकेतिक उपवास रखा, और महाराष्ट्र में भी जिला स्तर पर भूख हड़ताल की गई।
आंदोलन का विस्तार: आंदोलनकारियों का मजबूत संकल्प
किसान नेताओं का कहना है कि उनकी यह जंग रोटी के लिए नहीं, बल्कि अकाल पुरख के आशीर्वाद से लड़ी जा रही है। डल्लेवाल ने गुरु नानक देव जी की दया का हवाला देते हुए कहा कि इस संघर्ष में उनका शरीर गुरु के आशीर्वाद से ही शक्ति प्राप्त करेगा। इस दौरान, किसानों के बीच सौहार्द की भावना भी बनी हुई है और अगर उन्हें बैठक में भाग लेने का मौका दिया जाएगा तो वे इसमें शामिल होने के लिए तैयार हैं।
किसान आंदोलन ने अब राजनीतिक और सामाजिक चेतना का एक नया मोर्चा खोल दिया है, और सभी नजरें 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च और केंद्र सरकार के साथ होने वाली 14 फरवरी की बैठक पर टिकी हुई हैं।
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