कोलकाता में आरजी कर अस्पताल दुष्कर्म और हत्या मामले में ऐतिहासिक फैसला शनिवार को, आरोपियों के लिए सजा पर उथल-पुथल

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले साल हुई एक जघन्य दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद, अब पूरे देश की नजरें शनिवार को होने वाले फैसले पर टिकी हुई हैं। यह मामला विशेष रूप से संवेदनशील और गंभीर था, जिसमें एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ अपराध हुआ और पूरे देशभर में गहरी नाराजगी और आक्रोश फैल गया। मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन अब सियालदह की अदालत में 57 दिन बाद होने वाला फैसला, इस संवेदनशील और उथल-पुथल भरे मामले में एक निर्णायक मोड़ हो सकता है।
महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला
9 अगस्त, 2023 को, उत्तर कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ कथित तौर पर एक अपराध हुआ था। महिला का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल से बरामद किया गया, और उनके शरीर पर कई चोटों के निशान पाए गए थे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह केवल एक दुष्कर्म का मामला नहीं था, बल्कि हत्या का भी प्रयास था। इसके बाद, पुलिस ने तत्काल आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार किया था, जो एक नागरिक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहा था।
मृत्युदंड की मांग, CBI की सख्त कार्यवाही
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को ट्रांसफर कर दिया था। CBI ने आरोपी संजय रॉय के लिए मृत्युदंड की मांग की है, और इस मांग को अदालत के समक्ष रखा है। अदालत में बंद कमरे में हुई सुनवाई में 50 गवाहों से पूछताछ की गई, और सभी ने इस जघन्य अपराध के साक्ष्य पेश किए।
अदालत में फैसले की घड़ी, आरोपी का भविष्य दांव पर
12 नवंबर को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी, और उसके बाद से लगातार मामले में उठती हुई नई-नई जानकारी ने इसे मीडिया में भी प्रमुखता दिलाई। 9 जनवरी को आरोपी संजय रॉय के मुकदमे की सुनवाई पूरी हुई। हालांकि, मामले के दौरान पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया कि इस अपराध में कुछ और लोग भी शामिल थे। उन्होंने अदालत में एक आवेदन दायर किया, जिसमें उन्होंने मामले की पुनः जांच की मांग की है और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की अपील की है।
विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक हलचल
इस जघन्य अपराध के बाद, कोलकाता सहित देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। जूनियर डॉक्टरों ने पीड़िता को न्याय दिलाने और अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए लंबे समय तक आंदोलन किया। राजनीतिक दलों ने भी इसे अपना मुद्दा बनाया, और भाजपा तथा माकपा जैसे विपक्षी दलों ने इस अपराध की कड़ी निंदा की। हालांकि, सबसे अधिक सक्रियता गैर-राजनीतिक आंदोलन में देखी गई, जिसमें नागरिकों ने खुद सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और राष्ट्रीय कार्य बल का गठन
मामले की गंभीरता को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और इस पर कार्रवाई शुरू की। कोर्ट ने डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) का गठन किया। एनटीएफ ने पिछले साल नवंबर में अपनी रिपोर्ट भी शीर्ष अदालत में पेश की थी, जिसमें अस्पतालों और चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत प्रोटोकॉल तैयार करने का सुझाव दिया गया था।
क्या होगा फैसले का परिणाम?
अब जबकि अदालत में 57 दिन बाद यह ऐतिहासिक फैसला आने वाला है, सभी की नजरें इस पर टिकी हैं। क्या आरोपी संजय रॉय को मृत्युदंड दिया जाएगा या कुछ और? और क्या पीड़िता के परिवार को न्याय मिलेगा? इन सवालों का जवाब शनिवार को अदालत से मिलेगा। इस फैसले का देशभर में गहरा असर पड़ने की संभावना है, और इससे अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी होने की उम्मीद भी जताई जा रही है।
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