July 1, 2025

मणिपुर में भाजपा को बड़ा झटका: नीतीश कुमार की जेडीयू ने सरकार से लिया समर्थन वापस, क्या बिहार में भी असर पड़ेगा?

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मणिपुर में भाजपा सरकार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) से बड़ा झटका लगा है। जेडीयू ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद अब मणिपुर विधानसभा में भाजपा सरकार को एक और राजनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इस घटनाक्रम के बाद जेडीयू के एकमात्र विधायक विपक्षी बेंच पर बैठेंगे, हालांकि यह घटनाक्रम सरकार की स्थिरता पर फिलहाल कोई असर डालता नहीं दिख रहा है, लेकिन यह एक मजबूत संदेश देने वाला है क्योंकि जेडीयू बिहार और केंद्र में भाजपा की अहम सहयोगी पार्टी है।

क्या मणिपुर में भाजपा सरकार को खतरा है?
मणिपुर विधानसभा में जेडीयू के कुल छह विधायक थे, लेकिन इनमें से पांच विधायक पहले ही भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे जेडीयू की ताकत काफी कमजोर हो गई थी। अब केवल एक विधायक रह गए थे, जिनका समर्थन भी भाजपा से वापस लिया गया है। मणिपुर के जेडीयू इकाई के प्रमुख केएस बीरेन सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अपनी पार्टी के फैसले की जानकारी दी है। इस पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया कि फरवरी/मार्च 2022 में मणिपुर विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इसके बाद पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे।

मणिपुर में राजनीतिक समीकरणों का बदलना
बीते कुछ महीनों में भाजपा को एक और झटका तब लगा जब मेघालय की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी बीरेन सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। मणिपुर में इस समय भाजपा के पास 37 विधायक हैं, और इसे नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है, जिससे सरकार का बहुमत अब मजबूत बना हुआ है। हालांकि, जेडीयू के एकमात्र विधायक के इस कदम से भाजपा सरकार के लिए एक नए राजनीतिक समीकरण का सामना करना पड़ेगा।

मणिपुर में जेडीयू का समर्थन वापस, एक कड़ा संदेश
जेडीयू के इस फैसले के बाद, अब पार्टी के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर को विपक्ष की बेंच पर बैठाया गया है। जेडीयू ने साफ किया है कि वह मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन नहीं करती है। पार्टी ने यह भी कहा कि मणिपुर विधानसभा में जेडीयू के विधायक विपक्षी सदस्य के तौर पर काम करेंगे।

नीतीश कुमार की राजनीति पर असर?
जेडीयू का यह कदम बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है, जहां भाजपा और जेडीयू एक साथ गठबंधन में हैं। नीतीश कुमार का पाला बदलने का पुराना रिकॉर्ड रहा है, और इस कदम को कई लोग बिहार की राजनीति पर भी असर डालने वाला मान रहे हैं। जेडीयू ने हाल ही में बिहार में भाजपा को अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने में मदद की है, लेकिन अगर भाजपा और जेडीयू के बीच दूरियां बढ़ती हैं तो इसका असर बिहार के राजनीतिक समीकरण पर पड़ सकता है।

सियासी मोड़ पर नजरें
मणिपुर के इस घटनाक्रम के बाद अब सभी की नजरें इस बात पर होंगी कि क्या जेडीयू का यह कदम बिहार के आगामी चुनावों पर भी कोई असर डालता है? क्या भाजपा और जेडीयू का गठबंधन टूटेगा या फिर नीतीश कुमार फिर से पाला बदलकर नई सियासी दिशा की ओर बढ़ेंगे? जेडीयू का यह कदम सिर्फ मणिपुर तक सीमित नहीं रह सकता, क्योंकि यह बिहार में भी सत्ता की दशा और दिशा को प्रभावित कर सकता है।

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