July 1, 2025

मणिपुर हिंसा पर मुख्यमंत्री ने मांगी माफी, कांग्रेस ने पीएम की चुप्पी पर उठाए सवाल

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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मंगलवार को राज्य में हुई हिंसा को लेकर माफी मांगी और सभी समुदायों से अपील की कि वे पिछले अपराधों को भूलकर शांतिपूर्ण और समृद्ध राज्य के लिए एकजुट होकर काम करें। मुख्यमंत्री की ओर से यह माफी उस समय आई जब राज्य में हुई जातीय हिंसा के चलते अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो चुके हैं। सैकड़ों लोग आज भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री के इस कदम पर कांग्रेस पार्टी ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, और कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने इसे एक अपर्याप्त और देर से लिया गया कदम बताया है।

मुख्यमंत्री की माफी और शांति की अपील

मणिपुर में लगातार हिंसा के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पिछले तीन से चार महीनों से राज्य में शांति का माहौल रहा है और इस उम्मीद के साथ वह नए साल में राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली की आशा जताते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए मैं खेद व्यक्त करता हूं। कई लोगों ने अपने परिवार और प्रियजनों को खो दिया है, जबकि कई अन्य को अपना घर छोड़ना पड़ा। इसके लिए मैं माफी मांगता हूं और उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में स्थिति सामान्य हो जाएगी।”

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “जो कुछ भी हुआ, सो हुआ। अब मैं सभी समुदायों से अपील करता हूं कि वे पिछले मतभेदों को भूलकर एकजुट होकर शांतिपूर्ण और समृद्ध मणिपुर में अपना नया जीवन शुरू करें।” उन्होंने विशेष रूप से मई 2023 में शुरू हुए जातीय संघर्ष को लेकर कहा कि राज्य में गोलीबारी की घटनाओं में कमी आई है, हालांकि यह स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।

कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री के माफी मांगने के बाद कांग्रेस पार्टी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “मणिपुर के मुख्यमंत्री ने आज जो कहा, उसे कहने में उन्हें 19 महीने लग गए, जो पूरी तरह से अपर्याप्त है।” रमेश ने आरोप लगाया कि असली मुद्दा यह नहीं है कि मुख्यमंत्री ने माफी क्यों मांगी, बल्कि असली मुद्दा यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर में हुई हिंसा पर 19 महीने तक कुछ क्यों नहीं कहा। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में घूम रहे हैं, लेकिन उन्हें मणिपुर जाने का समय नहीं मिला है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”

रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री मणिपुर जाने से क्यों मना कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के मुद्दे पर चुप्पी क्यों साध रखी है और मणिपुर के लोगों से मिलने में क्यों असमर्थ हैं। रमेश ने इसे प्रधानमंत्री की विफलता और केंद्रीय गृहमंत्री की असफलता बताया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री मणिपुर की स्थिति को ठीक से संभालने में नाकाम रहे हैं, और यह एक बड़ी विफलता है।

मणिपुर में हिंसा की स्थिति

मणिपुर में मई 2023 में जातीय संघर्ष शुरू हुआ था, जिसके बाद हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ी थीं। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बताया कि मई से अक्टूबर 2023 तक राज्य में 408 गोलीबारी की घटनाएं हुईं। इसके बाद नवंबर 2023 से लेकर अब तक भी हिंसा की घटनाओं में कमी नहीं आई है। मुख्यमंत्री के अनुसार, मई 2024 तक कुल 345 गोलीबारी की घटनाएं और 112 गोलीबारी की घटनाएं केवल इस साल की शुरुआत में हो चुकी हैं। इन घटनाओं ने राज्य में सुरक्षा और शांति के माहौल को बुरी तरह प्रभावित किया है, और आज भी कई लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं।

एक नए सिरे से शुरुआत की उम्मीद

मुख्यमंत्री ने माफी मांगते हुए यह भी कहा कि मणिपुर में शांति बहाल करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, और आने वाले वर्ष में स्थिति को और बेहतर बनाने की पूरी कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य मणिपुर को एक शांतिपूर्ण और समृद्ध राज्य बनाना है, जहां सभी समुदाय एक साथ रहते हुए अपने जीवन को पुनः शुरू कर सकें।” हालांकि, यह देखना होगा कि राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद मणिपुर में स्थिति कितनी जल्दी सामान्य हो पाती है और क्या हिंसा के बाद के माहौल में समुदायों के बीच विश्वास का पुनर्निर्माण संभव हो सकेगा।

क्या यह कदम पर्याप्त होगा?

मुख्यमंत्री की माफी और शांति की अपील ने राज्य में शांति की बहाली के लिए सकारात्मक संकेत दिए हैं, लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के आरोपों के बाद यह सवाल उठता है कि क्या इस माफी से मणिपुर की समस्या का समाधान हो पाएगा। राज्य में हिंसा की स्थिति और प्रधानमंत्री की चुप्पी पर विपक्षी दलों की आलोचनाओं के बाद यह मामला और भी जटिल हो गया है। अब देखना यह है कि मणिपुर के लोग इस माफी को किस रूप में स्वीकारते हैं और क्या सरकार के प्रयास उन्हें एकजुट कर पाते हैं।

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