मुंबई में नाव पलटने के हादसे के बीच इंसानियत की मिसाल: जर्मन टूरिस्ट ने 5 साल के बच्चे की जान बचाई, लेकिन साथी अब भी लापता
मुंबई: मुंबई में एक दर्दनाक नाव हादसे के दौरान इंसानियत की एक अनोखी मिसाल पेश की गई है। जब समुद्र में फेरी वाली नाव नेवी की स्पीड बोट से टकरा कर पलट गई, तब एक जर्मन टूरिस्ट ने पांच साल के बच्चे की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। यह हादसा एक कड़ी जद्दोजहद के बीच हुआ, जिसमें बच्चे के माता-पिता और चाचा भी थे। बच्चा, जिसका नाम प्रियांश है, फिलहाल अस्पताल में इलाज करवा रहा है और उसकी स्थिति स्थिर है।
हादसे की भयावहता और त्वरित रेस्क्यू ऑपरेशन
मुंबई के समुद्र में हुआ यह हादसा बेहद भयंकर था। एलीफेंटा से नीलकमल नाम की फेरी जा रही थी जब अचानक एक तेज रफ्तार नेवी स्पीड बोट ने उसे टक्कर मार दी। देखते ही देखते फेरी पलट गई और अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में लगभग 120 लोग सवार थे, जिनमें 3 विदेशी टूरिस्ट भी शामिल थे। नाव पलटने के बाद सभी यात्री समुद्र में गिर गए और अपनी जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे।
इस बीच, जर्मनी से आए एक टूरिस्ट ने अपने जीवन की परवाह किए बिना पांच साल के प्रियांश को समुद्र से बाहर निकाला। यह दृश्य देखकर आसपास के लोग दंग रह गए। जर्मन टूरिस्ट की इस साहसिक और दरियादिली की सोशल मीडिया पर जमकर सराहना की जा रही है। हालांकि, इस बहादुरी के बावजूद, जर्मन टूरिस्ट का एक साथी अभी भी लापता है और इस पर प्रशासन द्वारा कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है।
13 लोगों की मौत, लापता यात्रियों की तलाश जारी
इस भयंकर हादसे में 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 101 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। अधिकारियों के मुताबिक, बाकी लापता लोगों की तलाश जारी है। रेस्क्यू ऑपरेशन में नौसेना के चार हेलीकॉप्टर, 11 नाव, तटरक्षक नौका और तीन समुद्री पुलिस नौकाएं सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
हादसे के बाद, जिन यात्रियों को बचाया गया, उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है, और वहां उनके रिश्तेदारों की भीड़ जमा हो गई है। इस घटना ने न केवल सुरक्षा के इंतजामों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि साथ ही जीवन की अहमियत और मानवता की सच्ची परिभाषा को भी उजागर किया है।
जर्मन टूरिस्ट की बहादुरी और हादसे के बाद की स्थिति
जब मीडिया ने जर्मन टूरिस्ट से इस साहसिक कार्य के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने बताया कि उसने सिर्फ इंसानियत के नाते उस बच्चे को बचाया। हालांकि, उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें भी साफ दिख रही थीं क्योंकि उसका साथी अभी भी लापता है। प्रशासन से लगातार संपर्क करने के बावजूद उसे अब तक इस मामले में कोई सटीक जानकारी नहीं मिली है, जिससे वह और उसका परिवार गहरे सदमे में हैं।
इस दर्दनाक हादसे ने एक तरफ जीवन के नाजुक क्षणों को दिखाया, वहीं दूसरी ओर एक जर्मन टूरिस्ट ने अपनी साहसिकता और मानवता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। मुंबई में घटित इस हादसे के बाद प्रशासन और नौसेना की ओर से किये गए रेस्क्यू ऑपरेशन ने यह साबित किया कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में त्वरित और सही कदम उठाने से कितनी बड़ी जान बचाई जा सकती है।
प्रियांश की जान बचाने वाले जर्मन टूरिस्ट की दरियादिली पर सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें हीरो करार दिया है, और सभी की दुआएं इस पांच साल के बच्चे के साथ हैं।
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