July 1, 2025

झारखंड बीजेपी नेता को पीएलएफआई द्वारा रंगदारी की धमकी, परिवार में मची खलबली, पुलिस जांच में जुटी

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झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और प्रमुख बिल्डर रमेश सिंह को एक अज्ञात शख्स ने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के नाम पर रंगदारी की धमकी दी है। इस धमकी के बाद रमेश सिंह का पूरा परिवार भयभीत है और उन्होंने राजधानी रांची के सुखदेव नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई है।

शनिवार को रमेश सिंह के मोबाइल फोन पर एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई थी। फोन उठाने पर एक व्यक्ति ने खुद को पीएलएफआई संगठन से जुड़ा हुआ बताया और धमकी दी कि यदि वह संगठन को सहयोग नहीं करेंगे, तो अंजाम बुरा होगा। धमकी भरे शब्दों में कहा गया कि संगठन का कमांडर उनकी नजर में है, और अगर वह सहयोग नहीं करते तो वे गंभीर परिणामों का सामना करेंगे। फोन करने वाले शख्स ने यह कहते हुए फोन रख दिया।

रांची के एक प्रतिष्ठित बिल्डर और बीजेपी नेता से रंगदारी मांगने की घटना ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। पुलिस की आईटी टीम इस नंबर और कॉल करने वाले व्यक्ति की पहचान करने के लिए काम में जुटी है। प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि जिस सिम कार्ड से यह धमकी दी गई थी, उसका लोकेशन पश्चिम बंगाल का है, जो मामले को और भी गंभीर बनाता है।

यह पहली बार नहीं है जब पीएलएफआई या अन्य उग्रवादी संगठनों के नाम पर रंगदारी मांगी गई हो। इससे पहले भी रांची के घोड़ा थाना क्षेत्र के एक कारोबारी हेमंत सिंह मुंडा से पीएलएफआई के नाम पर दो करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी गई थी। इसके अलावा, सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में एक जमीन कारोबारी जगदीश प्रसाद से भी एक करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग की गई थी।

पीएलएफआई का इतिहास भी काफी विवादित रहा है। यह संगठन 2003 में खूंटी जिले के रहने वाले दिनेश गोपन द्वारा झारखंड लिबरेशन टाइगर्स (जेएलटी) के नाम से स्थापित किया गया था। बाद में 2007 में इसका नाम बदलकर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) रखा गया और यह संगठन भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया। संगठन की गतिविधियां, खासकर रंगदारी वसूली, लगातार बढ़ रही हैं, जिससे राज्य के कई कारोबारी और सामान्य लोग डर के साए में जी रहे हैं।

प्रशासन और पुलिस की टीमें सक्रिय हो गई हैं और मामले की गहन जांच जारी है। अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार के घटनाक्रम राज्य में कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं, और ऐसे संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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