पोलैंड वीजा घोटाले में सनसनीखेज खुलासे: भारतीय किसानों को फिल्म निर्माता बना कर जारी किए गए फर्जी वीजे, सरकार पर गंभीर आरोप

पोलैंड के वीजा घोटाले को लेकर एक जांच रिपोर्ट संसद में पेश की गई है, जिसमें भारतीय किसानों से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। यह घोटाला 2018 से 2023 के बीच हुआ था, जब पोलैंड में दक्षिणपंथी पार्टी ‘लॉ एंड जस्टिस’ की सरकार थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पोलैंड के दूतावास अधिकारियों ने भारतीय किसानों को वर्क वीजा दिलाने के लिए एक अजीब और अवैध तरीका अपनाया, जिससे उन्हें फिल्म निर्माता बताकर वीजा जारी किए गए।
भारत के किसानों को वीजा दिलाने के लिए फर्जी पहचान का इस्तेमाल
पोलैंड में वर्क वीजा प्राप्त करना भारतीय किसानों के लिए बेहद मुश्किल था, लेकिन दूतावास अधिकारियों ने इस समस्या का समाधान एक बहुत ही अजीब तरीका अपनाया। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय किसानों को वीजा देने के लिए उन्हें बॉलीवुड फिल्म निर्माता बता दिया गया। इस झूठी पहचान के माध्यम से अधिकारियों ने किसानों को वीजा जारी किए और बदले में उन्हें भारी रिश्वत भी ली। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन अधिकारियों ने एशिया और अफ्रीका से वीजा प्राप्त करने वाले लोगों से 30 लाख रुपये तक की रिश्वत वसूली।
वीजा घोटाले में बड़े नेताओं का नाम
पोलैंड की संसद द्वारा गठित एक विशेष समिति द्वारा किए गए इस गहन जांच में पूर्व प्रधानमंत्री मैथ्यूज मोराविचकी, पूर्व विदेश मंत्री और पूर्व आंतरिक मंत्री का भी नाम सामने आया है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, पोलैंड की तत्कालीन सरकार में बड़े पैमाने पर रिश्वत लेकर हजारों की संख्या में वीजा जारी किए गए। एक ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि एक ही एजेंसी ने 6 साल के दौरान करीब 4200 वीजा जारी किए, और इनमें से कुछ मामलों में एजेंसी ने 7 लाख रुपये तक की वसूली की।
रूसी नागरिकों को भी मिला था वीजा, सरकार पर दबाव डालने का आरोप
पोलैंड के विदेश मंत्री ने इस घोटाले को लेकर बयान दिया है कि पूर्व सरकार ने दूतावास अधिकारियों पर वीजा जारी करने के लिए दबाव डाला था। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी नागरिकों को भी वीजा जारी किए गए, जो विवाद का एक और कारण बन गया। पोलैंड के अधिकारियों का कहना है कि कई ऐसे लोग जिन्हें वीजा जारी किया गया था, वे इसके लिए पात्र नहीं थे, और यह मामला पोलैंड के विदेश नीति के खिलाफ था।
दक्षिणपंथी पार्टी की सरकार पर गंभीर आरोप
इस घोटाले ने पोलैंड की दक्षिणपंथी पार्टी ‘लॉ एंड जस्टिस’ को भारी झटका दिया है। इस पार्टी ने हमेशा अप्रवासियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की बात की थी, लेकिन अब यह सामने आया है कि उनकी सरकार में लाखों लोगों को अवैध तरीके से वीजा जारी किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, इस घोटाले में भारतीय किसानों के अलावा ताइवान, हांगकांग, सऊदी अरब, फिलीपींस, कतर, सिंगापुर और यूएई के लोगों से भी बड़ी रकम वसूल कर उन्हें वीजा जारी किए गए थे।
रूसी नागरिकों का भी था वीजा घोटाले में बड़ा हाथ
यह और भी चौंकाने वाली बात है कि पोलैंड की पूर्व सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद, 3 लाख 57 हजार रूसी नागरिकों को भी वीजा जारी किया। यह सब उस समय हुआ, जब पोलैंड सरकार ने रूस के खिलाफ कड़े कदम उठाने का दावा किया था, और ऐसे में यह घोटाला पोलैंड की अंतरराष्ट्रीय छवि पर एक बड़ा सवाल उठाता है।
पोलैंड में वीजा घोटाले की गूंज: यूरोपीय संघ का भी ध्यान
इस वीजा घोटाले की खबरें अब केवल पोलैंड तक सीमित नहीं हैं। यूरोपीय संघ ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और पोलैंड से जवाब तलब किया है। यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने इस पूरे मामले में पोलैंड सरकार से पूरी जानकारी मांगी है, जिससे यह साफ हो सके कि वीजा घोटाले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
भारत में इस घोटाले का क्या असर होगा?
इस घोटाले का भारतीय किसानों और भारतीय नागरिकों पर एक गहरा असर पड़ सकता है। क्योंकि पोलैंड की सरकार और उसके दूतावासों द्वारा भारतीय नागरिकों को फर्जी तरीके से वीजा देने का मामला सामने आया है, ऐसे में भविष्य में भारतीयों के लिए पोलैंड से वीजा प्राप्त करने की प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है। इस घोटाले ने पोलैंड की कूटनीतिक स्थिति और यूरोपीय संघ के साथ उसके रिश्तों को भी प्रभावित किया है।
यह घोटाला न केवल पोलैंड बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अप्रवास नीति और दूतावास अधिकारियों की भ्रष्टाचार की परतों को भी उजागर करता है, और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
Share this content: