केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आरआईएनएल के पुनरुद्धार के लिए 11,440 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक योजना को दी मंजूरी, इस्पात उद्योग को मिलेगा नया जीवन

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के लिए 11,440 करोड़ रुपये की पुनरुद्धार योजना को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इस महत्वपूर्ण निवेश को स्वीकृति दी, जो इस्पात उद्योग के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, इस पुनरुद्धार योजना के तहत आरआईएनएल में 10,300 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश के रूप में डाले जाएंगे, जबकि 1,140 करोड़ रुपये के कार्यशील पूंजी ऋण को 7 प्रतिशत नॉन कुमुलेटिव प्रेफरेंस शेयर पूंजी के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। यह निवेश आरआईएनएल को वित्तीय संकट से उबारने के साथ-साथ उसे अगले 10 वर्षों तक स्थिर बनाए रखने में मदद करेगा।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस रिवाइवल पैकेज के माध्यम से आरआईएनएल की पुरानी समस्याओं का समाधान होगा, जिससे उसे अपने परिचालन को सही दिशा में पुनर्स्थापित करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि 10,300 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी निवेश से आरआईएनएल को कार्यशील पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी, जो उसे ब्लास्ट फर्नेस को सबसे अधिक उत्पादक तरीके से चलाने में सक्षम बनाएगा।
यह योजना इस्पात उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है, जिससे भारतीय इस्पात बाजार में स्थिरता आएगी। इसके साथ ही यह कदम कर्मचारियों और संयंत्र पर निर्भर समुदायों की आजीविका की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह परियोजना कर्मचारियों के रोजगार को बचाने और संयंत्र के संचालन को मजबूती प्रदान करेगी।
रिवाइवल योजना में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि आरआईएनएल जनवरी 2025 तक दो ब्लास्ट फर्नेस के साथ और अगस्त 2025 तक तीन ब्लास्ट फर्नेस के साथ पूर्ण उत्पादन शुरू कर देगा। इस्पात मंत्रालय के तहत कार्यरत आरआईएनएल का विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र आंध्र प्रदेश का एकमात्र अपतटीय संयंत्र है और इस योजना का उद्देश्य इसे अपनी पूरी उत्पादन क्षमता तक पहुंचाने में मदद करना है।
यह पुनरुद्धार पैकेज न केवल आरआईएनएल के लिए बल्कि समग्र भारतीय इस्पात उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जिससे न केवल उद्योग की बढ़ोतरी होगी, बल्कि रोजगार और आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।
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