रूस-यूक्रेन युद्ध में नाटो देशों के बढ़ते कदम: पुतिन की परमाणु चेतावनी और नए खतरे की आहट

रूस-यूक्रेन युद्ध में एक नया मोड़ आ गया है, जब नाटो के तीन प्रमुख सदस्य देशों ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद, युद्ध के आसमान में परमाणु खतरे की छांव और गहरी हो गई है, क्योंकि रूस ने पहले ही चेतावनी दी थी कि नाटो के सदस्य देशों की मिसाइलें यदि उसके क्षेत्र में गिरीं, तो इसे पूरी नाटो गठबंधन पर हमले के रूप में देखा जाएगा।
नाटो देशों की मिसाइलों की मंजूरी से बढ़ी स्थिति की जटिलता
इस संघर्ष की शुरुआत से ही नाटो सदस्य देशों ने यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद मुहैया कराई है, लेकिन अब इन देशों के कदम और भी निर्णायक हो गए हैं। सबसे पहले, अमेरिका ने यूक्रेन को ATACMS मिसाइलों की मंजूरी दी थी, इसके बाद ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को अपनी स्टॉर्म शैडो मिसाइलें देने की अनुमति दी। और अब, फ्रांस ने अपनी ‘स्कैल्प’ मिसाइलों को रूस के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी दे दी है।
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि यह निर्णय यूक्रेन की “आत्मरक्षा” के संदर्भ में लिया गया है। बैरोट ने इस बात को स्पष्ट किया कि फ्रांस यूक्रेन के समर्थन में किसी भी प्रकार की “रेड लाइन” (सीमा) निर्धारित नहीं कर रहा है, और यह कदम रूस के खिलाफ सैन्य संघर्ष को और तीव्र करने का संकेत है। उन्होंने यह भी कहा कि फ्रांस हर संभव सहायता जारी रखेगा, क्योंकि इस युद्ध में यूरोप की सुरक्षा दांव पर है।
रूस ने किया कड़ा विरोध
रूस की प्रतिक्रिया भी तेज़ और कड़ी रही है। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने फ्रांस के इस कदम को यूक्रेन के लिए “मौत की घंटी” करार दिया। रूस ने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि नाटो देशों के हथियारों का यूक्रेन द्वारा इस्तेमाल किया गया तो वह इसे पूरी नाटो के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के रूप में देखेगा। इसके अलावा, पुतिन ने अमेरिका द्वारा ATACMS मिसाइलों की मंजूरी के बाद रूस की न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव की घोषणा की थी, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि यदि कोई नूक्लियर पावर रूस पर हमला करता है, तो रूस अपने न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करने पर विचार कर सकता है।
स्कैल्प मिसाइलों की खतरनाक शक्ति
फ्रांस द्वारा दी गई स्कैल्प मिसाइलें ब्रिटेन की स्टॉर्म शैडो मिसाइलों के समान हैं, जो लंबी दूरी से दुश्मन को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इन मिसाइलों की रेंज 550 किलोमीटर तक होती है, और इसकी गति 1200 किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है। इसका वजन करीब 1300 किलोग्राम होता है, जिसमें 450 किलोग्राम का वॉरहेड भी शामिल है। इस मिसाइल का इस्तेमाल हवा से हवा और हवा से जमीन में मार करने के लिए किया जा सकता है।
रूस की प्रतिक्रिया: परमाणु युद्ध का खतरा
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा दी गई मिसाइलों की मंजूरी के बाद अब यूक्रेन ने रूस पर इन हथियारों का इस्तेमाल करने का विचार किया है। पिछले हफ्ते, यूक्रेन ने अमेरिका द्वारा दिए गए ATACMS और ब्रिटेन द्वारा दिए गए स्टॉर्म शैडो मिसाइलों से रूस पर हमले किए थे, हालांकि रूस ने इन सभी मिसाइलों को मार गिराया था। इसके बावजूद, नाटो देशों की इस कार्रवाई से युद्ध का खतरा और बढ़ गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल हमलों में अब और भी तेजी आ सकती है, क्योंकि हाल ही में रूस ने यूक्रेन पर बिना वॉरहेड के इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल दागी थी। माना जा रहा है कि यह हमला यूक्रेन और अमेरिका को यह संदेश देने के लिए था कि रूस किसी भी हालत में अपने देश की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
क्या नाटो देशों का बढ़ता हस्तक्षेप रूस को उकसाने की रणनीति है?
रूस की चेतावनियों और बढ़ते तनाव के बावजूद, नाटो देशों का लगातार यूक्रेन को सैन्य सहायता देना इस संघर्ष को और भी खतरनाक बना सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के फैसले पर आलोचनाएं भी हो रही हैं, खासकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेटे ट्रंप जूनियर ने इसे तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ने का संकेत बताया था।
यह सवाल अब गहरा हो गया है कि क्या नाटो देशों का हस्तक्षेप रूस को और उकसा रहा है? क्या यह संघर्ष आने वाले समय में परमाणु युद्ध की ओर बढ़ेगा, या फिर शांति की उम्मीद अभी भी बाकी है?
भविष्य की दिशा: युद्ध या शांति?
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी गई मिसाइलों की मंजूरी से एक बात तो साफ है कि युद्ध अब और भी निर्णायक मोड़ पर आ चुका है। रूस की परमाणु खतरे की चेतावनी के बावजूद, नाटो देशों का लगातार समर्थन युद्ध को हवा दे रहा है। अब सवाल यह उठता है कि क्या दुनिया को इस संघर्ष के और बढ़ने का इंतजार करना होगा, या फिर किसी तरीके से युद्ध को रोका जा सकेगा?
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