तमिलनाडु में खुला देश का पहला कांच का पुल, जो जोड़ता है विवेकानंद स्मारक और तिरुवल्लुवर प्रतिमा को—क्या होगा इसका प्रभाव?
तमिलनाडु में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है, जिसने न केवल भारत के पर्यटन क्षेत्र को नया आयाम दिया है, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। कन्याकुमारी के समंदर में देश का पहला कांच का पुल अब जनता के लिए खोला जा चुका है। इस कांच के पुल का उद्घाटन सोमवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने किया। इस पुल का निर्माण सिर्फ एक बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं, बल्कि यह दो ऐतिहासिक धरोहरों—विवेकानंद स्मारक और तिरुवल्लुवर प्रतिमा—को जोड़ने का प्रयास है, जिससे यह एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल बनकर उभरने वाला है।
पहले जहां पर्यटकों को विवेकानंद स्मारक से तिरुवल्लुवर प्रतिमा तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था, वहीं अब उन्हें केवल इस नए कांच के पुल का इस्तेमाल करना होगा। यह पुल न केवल यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि इसे एक रोमांचक अनुभव भी प्रदान करेगा, जहां पर्यटक समुद्र के ऊपर से चलते हुए नीचे समंदर की लहरों को देख सकते हैं, सूर्योदय और सूर्यास्त का आनंद ले सकते हैं, और साथ ही ऐतिहासिक स्मारक और प्रतिमा के अद्भुत दृश्य का अवलोकन कर सकते हैं।
यह कांच का पुल 77 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा है, और इसकी कुल लागत 37 करोड़ रुपये आई है। इसे बनाते वक्त एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे समुद्र की तेज हवाओं और खतरनाक परिस्थितियों से निपटने में सक्षम बनाता है। इस पुल का डिज़ाइन इतना खास है कि यह न केवल सुरक्षा मानकों को पूरा करता है, बल्कि पर्यटकों को एक अद्वितीय अनुभव भी देता है।
ग्लास ब्रिज के निर्माण का उद्देश्य सिर्फ कनेक्टिविटी में सुधार करना नहीं है, बल्कि तमिलनाडु के पर्यटन क्षेत्र को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे एक महत्वाकांक्षी परियोजना बताया, जो कन्याकुमारी को भारत के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल करने की दिशा में एक अहम कदम है।
राज्य सरकार का मानना है कि यह कांच का पुल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगा और पर्यटकों को एक नई रोमांचक यात्रा का अनुभव प्रदान करेगा। इसके अलावा, यह पुल आने वाले वर्षों में कन्याकुमारी में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि का कारण बनेगा।
पुल के निर्माण में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें समुद्र की मुश्किल परिस्थितियों और तेज हवाओं से निपटना भी शामिल था। इसके बावजूद, लोक निर्माण और राजमार्ग मंत्री ई.वी. वेलु ने कहा कि इस परियोजना को पूरा करने में विशेषज्ञों की मदद ली गई, और अब यह पुल कन्याकुमारी के पर्यटन की धुरी बनने जा रहा है।
इस कांच के पुल का उद्घाटन एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में मनाया जा रहा है, क्योंकि यह न केवल एक नई संरचना का निर्माण है, बल्कि यह एक सशक्त संदेश भी देता है कि भारत अपनी तकनीकी क्षमता और पर्यटन क्षेत्र में नवाचार के मामले में भी आत्मनिर्भर हो रहा है।
इस पुल के खुलने से कन्याकुमारी का चेहरा बदलने वाला है, और यह निश्चित रूप से देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। क्या यह कांच का पुल सच में कन्याकुमारी को एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना पाएगा? यह सवाल अभी भी तैर रहा है, लेकिन इतना तय है कि इस पुल का खुलना तमिलनाडु और भारत के पर्यटन इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाला है।
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