उत्तर प्रदेश में लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हुआ सिरदर्द, तकनीकी खामियों से परेशान हो रहे लोग
उत्तर प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया में इन दिनों कई परेशानियां सामने आ रही हैं, खासकर लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन को लेकर। परिवहन विभाग द्वारा ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिससे लोगों को बिना किसी परेशानी के लाइसेंस मिल सके, लेकिन तकनीकी समस्याओं ने पूरी प्रक्रिया को एक चुनौती बना दिया है। लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अब ऑनलाइन टेस्ट, फेस रिकग्निशन और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन जैसी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ऑनलाइन आवेदन में समस्या: वेबसाइट का सर्वर डाउन
हाल ही में परिवहन विभाग ने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया है। पहले जहां लोग आरटीओ दफ्तर में जाकर मैन्युअल आवेदन करते थे, वहीं अब यह सब कुछ ऑनलाइन हो गया है। हालांकि, सरकारी वेबसाइट https://sarathi.parivahan.gov.in/ पर अब ज्यादातर समय सर्वर डाउन रहता है, जिससे आवेदकों को ऑनलाइन आवेदन करने में भारी समस्या का सामना करना पड़ता है। वेबसाइट का सही से काम न करना लोगों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत बन गया है। कई बार लोग कई घंटों तक साइट पर प्रयास करते हैं, लेकिन तकनीकी कारणों से उनका आवेदन नहीं हो पाता।
फेस रिकग्निशन में परेशानी, आधार की तस्वीर है समस्या
अगर साइट किसी तरह खुलती भी है, तो फेस रिकग्निशन एक और बड़ी समस्या बन जाती है। अब लर्निंग लाइसेंस केवल आधार कार्ड के जरिए ही अप्लाई किया जा सकता है, और यदि आधार में पुरानी तस्वीर है, तो फेस रिकग्निशन में समस्या आती है। इस कारण कई लोगों का आवेदन तुरंत रिजेक्ट हो जाता है। वहीं, अगर फेस रिकग्निशन हो जाता है, तो फिर ऑनलाइन टेस्ट की प्रक्रिया शुरू होती है, जो और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
ऑनलाइन टेस्ट में सख्त नियम, पलक झपकाना भी जरूरी
लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के ऑनलाइन टेस्ट में 15 सवाल पूछे जाते हैं, जो मुख्यतः ट्रैफिक नियमों से जुड़े होते हैं। इस टेस्ट को पास करने के लिए 9 सवालों का सही जवाब देना जरूरी है। टेस्ट के दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना होता है, जैसे कि आपको स्क्रीन से हटना नहीं होता और हर 5 सेकंड में पलक झपकानी होती है, वरना आप डिस्क्वालिफाई हो सकते हैं। हाल ही में एक मृतक का लर्निंग लाइसेंस बन जाने के बाद, NIC ने इस टेस्ट के नियमों को और भी सख्त कर दिया है, ताकि कोई भी धोखाधड़ी न हो सके।
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में देरी, वीडियो देखने में भी दिक्कतें
ऑनलाइन टेस्ट पास करने के बाद आपको ट्रैफिक नियमों से जुड़े कुछ वीडियो देखने होते हैं। कई बार यह वीडियो प्ले नहीं होते, जिससे पूरा आवेदन प्रक्रिया विफल हो जाती है। इसके बाद दस्तावेज वेरिफिकेशन के लिए एआरटीओ दफ्तर के पास भेजे जाते हैं। यहां भी कभी-कभी दस्तावेज़ वेरिफिकेशन में देरी हो जाती है या फिर अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग की जाती है, जिससे आवेदकों को और भी परेशानी होती है।
कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या
नए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया का खामियाजा उन लोगों को सबसे अधिक भुगतना पड़ रहा है, जो कम पढ़े-लिखे हैं या फिर जिनके पास अच्छे इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा नहीं है। खासकर गांवों और कस्बों में रहने वाले लोग, जहां इंटरनेट की कनेक्टिविटी कमजोर है और तकनीकी जानकारी का अभाव है, वे इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन फीस के रूप में 350 रुपये का भुगतान भी करना होता है, जो कई लोगों के लिए अतिरिक्त भार बन जाता है।
हर रोज आ रही हैं 500 से अधिक शिकायतें
हर दिन परिवहन विभाग के टोल-फ्री नंबर पर 500 से अधिक शिकायतें लर्निंग लाइसेंस के आवेदन से संबंधित आ रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें फेस रिकग्निशन और वेबसाइट की तकनीकी समस्याओं को लेकर हैं। परिवहन विभाग इन शिकायतों का डेटा तैयार कर रहा है, जिसे शासन स्तर पर भेजने की योजना बनाई जा रही है।
परिवहन मंत्री का बयान
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का कहना है कि ऑनलाइन सेवाएं लोगों को सुविधाएं देने के लिए शुरू की गई थीं, लेकिन अगर इस प्रक्रिया में कोई समस्या आ रही है, तो उसे जल्द दूर किया जाएगा। उनका मानना है कि तकनीकी समस्याओं का समाधान जल्दी किया जाएगा, ताकि लोगों को कोई असुविधा न हो।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया एक नई मुसीबत बन चुकी है। हालांकि सरकार ने इसे डिजिटल बनाने का प्रयास किया, लेकिन तकनीकी खामियां और साइट की समस्याएं अब लोगों के लिए एक सिरदर्द बन चुकी हैं। यदि इन समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं होता है, तो ऑनलाइन प्रणाली का उद्देश्य ही विफल हो सकता है, और लोगों को फिर से पुरानी मैन्युअल प्रक्रिया पर लौटना पड़ सकता है।
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